आचार्य केशव दास वाक्य
उच्चारण: [ aachaarey keshev daas ]
उदाहरण वाक्य
- शायद इसीलिए आचार्य केशव दास की (“ भुषण बिनु न सोभहीं कविता, वनिता, मित ') कविता यानी भाषा को अलंकरण की आवश्यकता महसूस होती है.
- इसकी तुलना हमारे मध्य कालीन में हिंदी के आचार्य केशव दास की मनःस्थिति से भी की जा सकती है जिन्होंने अपनी एक रचना में लिखा था-हाय जिस कुल के दास भी भाषा (हिंदी) बोलना नहीं जानते अर्थात ये भी संस्कृत में बोलते हैं उसी कुल में मेरे जैसा मतिमंद कवि हुआ जो भाषा (हिंदी) में काव्य-रचना करता है।